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शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2019

[इस देश पर पेहला हक मूलनिवासियों के है

जो लोग पंडित दीनदयाल,हेडगेवार,सावरकर की जयंती-पुण्यतिथि पर सोशल मीडिया में फूल लेकर खड़े नजर आए तो समझो बस बिकने को आतुर मुर्गा है!

जिंदगी भर हमारे गांव-गवाड़ में दाना चुग्गा,कुकड़-कूँ किया और अंडा संघियों के बाड़े में देने को बांग दे रहा है!

जो लोग गांधी-नेहरू की प्रशंसा की पोथी उठाये घूम रहे है उनको यह समझना चाहिए कि बाप ने लड़ने के लिए जो संघर्ष इन ब्राह्मणवादी मंडली कांग्रेस के सामने किया उसके आगे समर्पण करके अपने आशियाने को आबाद रखने की कोशिश कर रहे है!

कांग्रेस ने देश को आजादी नहीं,अंग्रेजों की रहमत पर देश के लोगों को गुलामी दी और संघियों ने उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए देश के लोगों का पुरुषार्थ बेचने का धंधा आगे बढ़ाया है!

इस देश पर कब्जा चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी हो,शरणार्थियों का ही रहा है!हर देश की सत्ता में उस देश के मूलनिवासी है और संयुक्त राष्ट्र संघ भी यही कहता है कि देश की सत्ता पर पहला हक मूलनिवासीयों का होना चाहिए!

गांधी दक्षिणी अफ्रीका में तो मूलनिवासी लोगों के लिए लड़ता है मगर भारत मे आकर विदेशी शरणार्थियों को सत्ता पर कब्जा करने की मुहिम में लग जाता है और गांधी पूंजीपतियों, पूंजीपति देशों,उनकी धौंस से चलने वाले संयुक्त राष्ट्र का आइकॉन बन जाता है!

इस देश की पहचान व वजूद किसान है,इस देश के शिल्पकार मजदूर है,यह देश किसान कमेरों का है!

कांग्रेस व बीजेपी दो सत्यानाशी के पौधे है और इनके इर्द-गिर्द घूमने वाले लोग इस देश की जनता को इन सत्यानाशी के पौधों का जहर पिलाने वाले है!

जिस तरह का खेल चल रहा है उसके हिसाब से भारत का भविष्य EVM से नहीं सड़कों पर तय होगा!कुछ भी हो इस देश के लिए सड़कों का सुना होना बेहद ख़ौफ़नाक है!

प्रेमाराम सियाग

मंगलवार, 8 अक्तूबर 2019

ब्राह्मण कहा से आये

Jalaramhudda

ब्राह्मण विदेशी है प्रमाणज

Jalaram

1. ऋग्वेद में श्लोक 10 में लिखा है कि हम (वैदिक ब्राह्मण ) उत्तर ध्रुव से आये हुए लोग है। जब आर्य व् अनार्यो का युद्ध हुआ ।
2. The Arctic Home At The Vedas बालगंगाधर तिलक (ब्राह्मण) के द्वारा लिखी पुस्तक में मानते है कि हम बाहर आए हुए लोग है ।
3. जवाहर लाल नेहरु ने (बाबर के वंशज फिर कश्मीरी पंडित बने) उनकी किताब Discovery of India में लिखा है कि हम मध्य एशिया से आये हुए लोग है। यह बात कभी भूलना नही चाहिए। ऐसे 30 पत्र इंदिरा जी को लिखे जब वो होस्टल में पढ़ रही थी।
4. वोल्गा टू गंगा में “राहुल सांस्कृतयान” (केदारनाथ के पाण्डेय ब्राहम्ण) ने लिखा है कि हम बाहर से आये हुए लोग है और यह भी बताया की वोल्गा से गंगा तट (भारत) कैसे आए।
5. विनायक सावरकर ने (ब्राम्हण) सहा सोनरी पाने “इस मराठी किताब में लिखा की हम भारत के बाहर से आये लोग है।
6. इक़बाल “काश्मीरी पंडित ” ने भी जिसने “सारे जहा से अच्छा” गीत लिखा था कि हम बाहर से आए हुए लोग है।
7. राजा राम मोहन राय ने इग्लेंड में जाकर अपने भाषणों में बोला था कि आज मै मेरी पितृ भूमि यानि अपने घर वापस आया हूँ।
8. मोहन दास करम चन्द गांधी (वेश्य) ने 1894 में दक्षिणी अफ्रीका के विधान सभा में लिखे एक पत्र के अनुसार हम भारतीय होने के साथ साथ युरोशियन है हमारी नस्ल एक ही है इसलिए अग्रेज शासक से अच्छे बर्ताव की अपेक्षा रखते है।
9. ब्रह्म समाज के नेता सुब चन्द्र सेन ने 1877 में कलकत्ता की एक सभा में कहा था कि अंग्रेजो के आने से हम सदियों से बिछड़े चचेरे भाइयों का (आर्य ब्रह्मण और अंग्रेज ) पुनर्मिलन हुआ है।
इस सन्दर्भ में अमेरिका के Salt lake City स्थित युताहा विश्वविधालय (University of Utaha’ USA) के मानव वंश विभाग के वैज्ञानिक माइकल बमशाद और आंध्र प्रदेश के विश्व विद्यापीठ विशाखा पट्टनम के Anthropology विभाग के वैज्ञानिकों द्वारा सयुक्त तरीको से 1995 से 2001 तक लगातार 6 साल तक भारत के विविध जाति-धर्मो और विदेशी देश के लोगो के खून पर किये गये DNA के परिक्षण से एक रिपोर्ट तैयार की। जिसमें बता गया कि भारत देश की ब्राह्मण जाति के लोगों का DNA 99:96 %, कश्त्रिय जाति के लोगों का DNA 99.88% और वेश्य-बनिया जाति के लोगो का DNA 99:86% मध्य यूरेशिया के पास जो “काला सागर ’Blac Sea” है। वहां के लोगो से मिलता है। इस रिपोर्ट से यह निष्कर्ष निकालता है कि ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य-बनिया विदेशी लोग है और एस सी, एस टी और ओबीसी में बंटे लोग (कुल 6743 जातियां) और भारत के धर्म परिवर्तित मुसलमान, सिख, बुध, ईसाई आदि धर्मों के लोगों का DNA आपस में मिलता है। जिससे साबित होता है कि एस सी, एस टी, ओबीसी और धर्म परिवर्तित लोग भारत के मूलनिवासी है। इससे यह भी पता चलता है कि एस सी, एस टी, ओबीसी और धर्मपरिवर्तित लोग एक ही वंश के लोग है। एस सी, एस टी, ओबीसी और धर्म परिवर्तित लोगों को आपस में जाति के आधार पर बाँट कर ब्राह्मणों ने सभी मूलनिवासियों पर झूटी धार्मिक गुलामी थोप रखी है। 1900 के शुरुआत से आर्य समाज ब्राह्मण जैसे संगठन बनाने वाले इन लोगो ने 1925 से हिन्दु नामक चोला पहनाकर घुमाते आ रहे है। उक्त बात का विचार हमे बहुत ही गहनता से करने की आवश्यकता है। राष्ट्रिय स्वयं सेवकसंघ के जरिये 3% ब्राह्मण 97% मूलनिवासी भारतीयों पर पिछ्ले कई सालों से राज करते आ रहे हैं।
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शनिवार, 5 अक्तूबर 2019

बाबा टिकैत

बाबा टिकैत...

वो भी समय था जब पश्चिमी उत्तरप्रदेश के गांव सिसौली से कोई ऊंची आवाज में बोल देता तो दिल्ली के लुटियन जॉन में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो जाता!गांव में मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पूछने आते थे कि "टिकैत बता तेरी इच्छा क्या है?"

दिल्ली का वोट क्लब खचाखच भरता था और पूरी सरकार घुटनों के बल होती थी।आज बाबा टिकैत के वंशजों को दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर ही लाठियों से रोक दिया जाता है,दिल्ली में घुसने तक नहीं दिया जाता है!

अदम गोंडवी का एक शेर है...

भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है!
अहले हिन्दुस्तान अब तलवार के साये में है!!

बाबा टिकैत अंतिम दिनों में व्यवस्था व हालातों से ज्यादा अपने लोगों की दशा व दिशा को लेकर बेहद निराश थे!निराश नेताओं व युवाओं को लेकर थी।आज दृश्य देख लीजिए

अपनी शानो-शौकत में मर्तबा आला रहे
हाथों में फ़ोन व दिमाग मे बलात्कारी बाबा रहे
खेल अब शोहरत पर जा टिका है " प्रेम"
चाहे किसान आत्महत्या का बोलबाला रहे
एक किसान नेता बनने को क्या चाहिए
5-7बेरीढ़ के चमचे,माइक व माला रहे

आज किसान नेता बिकाऊ माल है।बोलियां लगती है खुले बाजार में और किसानों के बच्चे खुश होकर महफ़िल सजाते है कि मेरे वाले की बोली अच्छी लगी है!मेरा वाला बड़ा हो गया,मेरे वाले का कद बढ़ गया है!

यहां अब कदम बढ़ाने की बातें नहीं होती जनाब!अब अपने किसान सेनापति का कद बढ़ाने के लिए भक्तों की सेनाएं तैयार होती है!

न भूली होती जड़ें अपनी
तो खंजर का कोई निशान नहीं होता!
मुद्दे त्याग भक्त बन बैठे
अब मंजर का कोई हिसाब नहीं होता!!

पीछे मुड़कर देखते है तो गर्व होता है कि हमारे पुरखे संघर्ष के सेनापति रहे और उनकी हुंकारों पर हुक्काम डोलते थे,वर्तमान देखे तो उस मोड़ पर खड़े है जहां से न कोई दिशा और न दशा बदलने को कोई साथी खड़ा है!भविष्य सोचकर तो रूह कांप जाती है!

आज बिकाऊ किसान नेताओं ने किसानों को मंडी का सामान समझ लिया है व उनके बच्चों को जयकारा गैंग के सिपाही!

मैँ अदब से सलाम करता हूँ
तो भक्त समझने लगते है!
जब दूरी बनाकर रखता हूँ
नादान समझने लगते है!!

क्योंकि अब निजाम तानाशाह है और किसान नेताओं को यकीन हो चला है कि तानाशाही के महिमामंडन में ही उनकी सुरक्षा है!कोई किसान पुत्र सच को सच कहने लगे तो सबसे पहले बिकाऊ किसान नेताओं की चूलें हिलती है क्योंकि शहंशाह को गुलाम सेनापति पसंद है जो सच को नीचे ही दबाकर रखे!

साभार

प्रेमाराम सियाग

विकास दुबे के सरेंडर ओर एनकाउंटर के 24 घण्टे के घटनाक्रम में देश के सबसे बड़े घोटाले की खबर दब गयी.

कल पंजाब नेशनल बैंक में 3 हजार 688 करोड़ रुपए के लोन की धोखाधड़ी सामने आयी यह धोखाधड़ी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटडे यानी DHFL ने अंजाम दी है...