जो लोग पंडित दीनदयाल,हेडगेवार,सावरकर की जयंती-पुण्यतिथि पर सोशल मीडिया में फूल लेकर खड़े नजर आए तो समझो बस बिकने को आतुर मुर्गा है!
जिंदगी भर हमारे गांव-गवाड़ में दाना चुग्गा,कुकड़-कूँ किया और अंडा संघियों के बाड़े में देने को बांग दे रहा है!
जो लोग गांधी-नेहरू की प्रशंसा की पोथी उठाये घूम रहे है उनको यह समझना चाहिए कि बाप ने लड़ने के लिए जो संघर्ष इन ब्राह्मणवादी मंडली कांग्रेस के सामने किया उसके आगे समर्पण करके अपने आशियाने को आबाद रखने की कोशिश कर रहे है!
कांग्रेस ने देश को आजादी नहीं,अंग्रेजों की रहमत पर देश के लोगों को गुलामी दी और संघियों ने उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए देश के लोगों का पुरुषार्थ बेचने का धंधा आगे बढ़ाया है!
इस देश पर कब्जा चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी हो,शरणार्थियों का ही रहा है!हर देश की सत्ता में उस देश के मूलनिवासी है और संयुक्त राष्ट्र संघ भी यही कहता है कि देश की सत्ता पर पहला हक मूलनिवासीयों का होना चाहिए!
गांधी दक्षिणी अफ्रीका में तो मूलनिवासी लोगों के लिए लड़ता है मगर भारत मे आकर विदेशी शरणार्थियों को सत्ता पर कब्जा करने की मुहिम में लग जाता है और गांधी पूंजीपतियों, पूंजीपति देशों,उनकी धौंस से चलने वाले संयुक्त राष्ट्र का आइकॉन बन जाता है!
इस देश की पहचान व वजूद किसान है,इस देश के शिल्पकार मजदूर है,यह देश किसान कमेरों का है!
कांग्रेस व बीजेपी दो सत्यानाशी के पौधे है और इनके इर्द-गिर्द घूमने वाले लोग इस देश की जनता को इन सत्यानाशी के पौधों का जहर पिलाने वाले है!
जिस तरह का खेल चल रहा है उसके हिसाब से भारत का भविष्य EVM से नहीं सड़कों पर तय होगा!कुछ भी हो इस देश के लिए सड़कों का सुना होना बेहद ख़ौफ़नाक है!
प्रेमाराम सियाग
जिंदगी भर हमारे गांव-गवाड़ में दाना चुग्गा,कुकड़-कूँ किया और अंडा संघियों के बाड़े में देने को बांग दे रहा है!
जो लोग गांधी-नेहरू की प्रशंसा की पोथी उठाये घूम रहे है उनको यह समझना चाहिए कि बाप ने लड़ने के लिए जो संघर्ष इन ब्राह्मणवादी मंडली कांग्रेस के सामने किया उसके आगे समर्पण करके अपने आशियाने को आबाद रखने की कोशिश कर रहे है!
कांग्रेस ने देश को आजादी नहीं,अंग्रेजों की रहमत पर देश के लोगों को गुलामी दी और संघियों ने उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए देश के लोगों का पुरुषार्थ बेचने का धंधा आगे बढ़ाया है!
इस देश पर कब्जा चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी हो,शरणार्थियों का ही रहा है!हर देश की सत्ता में उस देश के मूलनिवासी है और संयुक्त राष्ट्र संघ भी यही कहता है कि देश की सत्ता पर पहला हक मूलनिवासीयों का होना चाहिए!
गांधी दक्षिणी अफ्रीका में तो मूलनिवासी लोगों के लिए लड़ता है मगर भारत मे आकर विदेशी शरणार्थियों को सत्ता पर कब्जा करने की मुहिम में लग जाता है और गांधी पूंजीपतियों, पूंजीपति देशों,उनकी धौंस से चलने वाले संयुक्त राष्ट्र का आइकॉन बन जाता है!
इस देश की पहचान व वजूद किसान है,इस देश के शिल्पकार मजदूर है,यह देश किसान कमेरों का है!
कांग्रेस व बीजेपी दो सत्यानाशी के पौधे है और इनके इर्द-गिर्द घूमने वाले लोग इस देश की जनता को इन सत्यानाशी के पौधों का जहर पिलाने वाले है!
जिस तरह का खेल चल रहा है उसके हिसाब से भारत का भविष्य EVM से नहीं सड़कों पर तय होगा!कुछ भी हो इस देश के लिए सड़कों का सुना होना बेहद ख़ौफ़नाक है!
प्रेमाराम सियाग