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शनिवार, 20 जुलाई 2019

चित्तौडगढ़ किले के निर्माता जाट राजा

ANCIENT JAT HISTORY
चित्तौडगढ़ किले के निर्माता जाट राजा चित्रांग(चित्रांगद) मोर —–मोर ,मोरी ,मयूर ,मौर्य जाट राजवंश –M.S. T
ANCIENT JAT/GETAE HISTORY
1 year ago
#आईये आज हम जानते है मौर जाट राजवंश और चितौड़गढ़ के बारे में!
@Manvendra Singh Tomar जी को धन्यवाद🙏

राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ नगर और किले के निर्माता जाट राजा चित्रांग मौर थे जिनको चित्रांगद मोरी भी बोलते थे चित्तौडग़ढ़ की स्थापना चित्रकूट नाम से की गयी कर्नल जेम्स टॉड हो दसरथ शर्मा हो कोई भी इतिहासकार हो सभी इतिहास कार इस बात पर एक मत है की जाट राजा चित्रांग ही चित्तौडग़ढ़ नगर और किले के निर्माता थे उसी राजा ने चित्रंग तालाब का भी निर्माण कराया। ऐसा वर्णन “कुमारपाल प्रबन्ध” पत्र 30-2 में आता है। यह मोर वंश राजपूत जाति में नहीं मिलता है जाटों में इस मोर वंश की आबादी राजस्थान ,पंजाब ,मध्यप्रदेश ,उत्तरप्रदेश महाराष्ट्र में है इसके अतरिक्त मौर जाट पाकिस्तान और जर्मनी में भी बड़ी संख्या में है चित्रांग मौर के छोटे पुत्र के वंशज चितरवाड़ा मौर कहलाते है जिनका निवास मालवा क्षेत्र में है यह लोग नीमच में 14 ग्रामो में निवास करते इनके साथ वहां इनके भाई मोर भी निवास करते है दोनों शाखाओ के नीमच में कुल 30 ग्राम है
सातवीं या आठवीं शताब्दी में परमार अग्नि यज्ञ शुद्धि से राजपूत जाति में शामिल हुए इस पहले परमार /पंवार वंश का अस्तित्व जाटों में मौजूद था परमार वंश से इनको जोड़ना पूर्ण रूप से गलत है क्योकि मौर वंश तो परमारो से पहले ही अस्तित्व में था ऐसे में पिता से पुत्र होता है नाकि पुत्र से पिता इतिहासकारो ने सम्पूर्ण मौर्य वंश को तक्षक नागवंशी जाटों की शाखा लिखा है प्रारम्भ में यह लोग जिस तराई क्षेत्र में बसे वहां मौर पक्षी का निवास अधिक संख्या में होने तथा मौर को अपना प्रिय पक्षी माने के कारन यह मौर कहलाये डॉ hr गुप्ता के अनुसार मौर लोग कोह मौर के निवासी थे जो पेशावर से भी आगे है

ये पोस्ट कितनी सच्ची कितनी झुठी मै नही जानती मगर मै ये जानती हु कि हमारा असली इतिहास बामणो मे छुपाया और हमे गुमराह किया है।

इसलिए ही बामसेफ बार बार कहता है कि जो अपना इतिहास नही जानते वो इतिहास लिख नही सकते।

वो दीनदयाल और गोवलकर के गुणगान करेगे के क्योकि सीधी सी बात ज अपने बाप को नही जानेगे वो दुसरे बाप के ही गुण गाते रहेगे।

भारत के मूलनिवासी लोगो अपना इतिहास खोजो।

शुक्रवार, 19 जुलाई 2019

जाट किसी पहचान का मोहताज नहीं है अपने आप मे एक पहचान है

वो जाट ही थे जिन्होंने सोमनाथ के मंदिर
का ज्यादातर खजाना वापस लूटकर मंदिर वापस ले
आये थे।
वो जाट रामलाल खोखर ही था जिसने पृथ्वीराज
चौहान के हत्यारे मोहम्मद गौरी को सिन्ध में मार
डाला था।
वो जाट महाराजा रणजीत सिंह ही था जिसने
मुगलों को काबुल, कंधार में जा जाकर पीटा था।
वो जाट वीर गोकुला और माडु जाट ही थे जिन्होंने
औरंगजेब की मरोङ तोङ कर रख दी थी।
वो जाट चूड़ामण ही था जो जोधपुर के महाराज
अजीत सिंह की पुत्री को फरुखसियर पठान से
छुङाकर लाया था।
वो जाट राजा नाहर सिंह ही था जो देश के लिए
1857 में पहले शहीद हुए।
वो जाट महाराजा सूरजमल ही था जिसने घायल
मराठों की मदद की और जिसके जीते
जी किसी दुश्मन की भरतपुर की तरफ आँख उठाने
की हिम्मत ना हुई।
वो जाट राजा जवाहर सिंह ही था जो लाल किले के
किवाङ तक उतार लाया था जो आज भी लोहगढ़ के
किले में चढ़े हैं।
वो जाट करतार सिंह ग्रेवाल
ही था जो छोटी सी उम्र में देश के लिए फाँसी पर
झूल गये।
वो जाट भगत सिंह संधू ही था जिसने देश
को आजादी दिलाई।
वो जाट चौधरी छोटूराम ही था जिसने
किसानों की जमीन की कुर्की बन्द करा दी।
वो जाट चौधरी सेठ छाजूराम ही था जिसने पूरे
हरियाणा में जाट स्कूल और कोलेजों को खङा कर
दिया।
वो जाट ताऊ देवीलाल ही थे जिन्होंने गरीबों और
किसानों की भलाई में साईकिल टैक्स, रेङियो टैक्स
आदि माफ किए और अनेक कानून बनवाए।
अपने सिर से प्रधानमंत्री का ताज वीपी सिंह के
सिर पर रखा।
वो जाट चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत ही थे,
जो राजनीति में ना होते हुए
भी सरकारों को हिला देते थे।
वो जाट मेजर शैतान सिंह, ब्रिगेडियर होशियार
सिंह, कैप्टन सौरभ कालिया ही थे जिन्होंने कई
लङाईयों में देश की आन बचाई।
वो जाट सैनिक ही थे जो 48, 62, 65, 71 और
कारगिल में देश के लिए शहीद हुए।
वो जाट सर सिकन्दर हयात खान चीमा (मुस्लिम
जाट) ही थे जिन्होंने संयुक्त पंजाब में चौधरी सर
छोटूराम के साथ मिलकर गरीबों और
किसानों की भलाई में अनेक कानून बनवाए।
वो जाट जग्गा डाकू ही था जो अमीरों का धन लूट
कर गरीबों में बांट देता था।
वो जाट हरफूल जाट जुलाणी ही था जिसने
अंग्रेजों के राज में गऊ हत्थे तोङे थे।
वो जाट बाबा ज्याणी ही था (कुछ जाटों से
ईर्ष्या करने वालो ने इन्हें ज्याणी चोर
भी लिखा है) जिसने अदली खान की कैद से नार
महकदे को छुङाया था।
वो जाट बाबा शाहमल ही था जो 1857 में
लङा था।
अन्य लाखों करोड़ों जाटों ने धर्म, देश, कौम के लिए
कुर्बानियां दी हैं।
ऐसे मेरे बहादुर पूर्वजों पर मुझे गर्व है।
हमें मुझे #जाट होने पर गर्व है"
JALARAM HUDDA

बुधवार, 10 जुलाई 2019

कल्पना के आधार पर बनाये गेये कुछ गप्पोड ग्रन्थो का सच

कल्पना के आधार पर बनाये गप्पोड ग्रन्थो में कुछ बातें ऐसी लिखी है कि जिसे आप अगर सौ बार पढ़ो तो भी समझ नही आने वाली....

जैसे आशिक बाबा तुलसीदास रामचरित मानस/बालकाण्ड मे लिखते हैं कि.....

"कौतुक देखि पतंग भुलाना।
मास दिवस तेहि जात ना जाना।।"

अर्थात - जब थाईलैंड के राजा दसरथुद्दीन के यहाँ रामजी पैदा हुये तो उनके जन्मोत्सव के समारोह को देखकर सूर्य एक महीने आकाश में ही ठहर गया!

अब सवाल यह है कि अगर सूर्य एक ही जगह रुक गया तो फिर सूर्य डूबा ही नहीं, रात हुई ही नहीं और अगला दिन भी नहीं हुआ.... तो बाबा तुलसीदास ने एक महीने की गिनती कैसे की ?

पूर्वकाल में हमारे बुजुर्ग लोग आकाश में सूर्य की स्थिति को देखकर ही समय का अंदाजा लगाते थे, और जब सूर्य ही ठहर गया तो इस बाबा तुलसीदास को पता कैसे चला कि एक महीना हो गया! क्या तुलसीदास त्रेतायुग में टाईटन या सोनाटा की घड़ी लगाकर घंटे गिन रहे थे?

अच्छा है कि ये शास्त्र भारतीय ही पढ़ते है, अगर विदेशी पढ़ते तो भारतीय भूगोल और तुलसीदास के ज्ञान पर थूक रहे होते !
साभार केसर देवी

विकास दुबे के सरेंडर ओर एनकाउंटर के 24 घण्टे के घटनाक्रम में देश के सबसे बड़े घोटाले की खबर दब गयी.

कल पंजाब नेशनल बैंक में 3 हजार 688 करोड़ रुपए के लोन की धोखाधड़ी सामने आयी यह धोखाधड़ी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटडे यानी DHFL ने अंजाम दी है...