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शुक्रवार, 19 जुलाई 2019

जाट किसी पहचान का मोहताज नहीं है अपने आप मे एक पहचान है

वो जाट ही थे जिन्होंने सोमनाथ के मंदिर
का ज्यादातर खजाना वापस लूटकर मंदिर वापस ले
आये थे।
वो जाट रामलाल खोखर ही था जिसने पृथ्वीराज
चौहान के हत्यारे मोहम्मद गौरी को सिन्ध में मार
डाला था।
वो जाट महाराजा रणजीत सिंह ही था जिसने
मुगलों को काबुल, कंधार में जा जाकर पीटा था।
वो जाट वीर गोकुला और माडु जाट ही थे जिन्होंने
औरंगजेब की मरोङ तोङ कर रख दी थी।
वो जाट चूड़ामण ही था जो जोधपुर के महाराज
अजीत सिंह की पुत्री को फरुखसियर पठान से
छुङाकर लाया था।
वो जाट राजा नाहर सिंह ही था जो देश के लिए
1857 में पहले शहीद हुए।
वो जाट महाराजा सूरजमल ही था जिसने घायल
मराठों की मदद की और जिसके जीते
जी किसी दुश्मन की भरतपुर की तरफ आँख उठाने
की हिम्मत ना हुई।
वो जाट राजा जवाहर सिंह ही था जो लाल किले के
किवाङ तक उतार लाया था जो आज भी लोहगढ़ के
किले में चढ़े हैं।
वो जाट करतार सिंह ग्रेवाल
ही था जो छोटी सी उम्र में देश के लिए फाँसी पर
झूल गये।
वो जाट भगत सिंह संधू ही था जिसने देश
को आजादी दिलाई।
वो जाट चौधरी छोटूराम ही था जिसने
किसानों की जमीन की कुर्की बन्द करा दी।
वो जाट चौधरी सेठ छाजूराम ही था जिसने पूरे
हरियाणा में जाट स्कूल और कोलेजों को खङा कर
दिया।
वो जाट ताऊ देवीलाल ही थे जिन्होंने गरीबों और
किसानों की भलाई में साईकिल टैक्स, रेङियो टैक्स
आदि माफ किए और अनेक कानून बनवाए।
अपने सिर से प्रधानमंत्री का ताज वीपी सिंह के
सिर पर रखा।
वो जाट चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत ही थे,
जो राजनीति में ना होते हुए
भी सरकारों को हिला देते थे।
वो जाट मेजर शैतान सिंह, ब्रिगेडियर होशियार
सिंह, कैप्टन सौरभ कालिया ही थे जिन्होंने कई
लङाईयों में देश की आन बचाई।
वो जाट सैनिक ही थे जो 48, 62, 65, 71 और
कारगिल में देश के लिए शहीद हुए।
वो जाट सर सिकन्दर हयात खान चीमा (मुस्लिम
जाट) ही थे जिन्होंने संयुक्त पंजाब में चौधरी सर
छोटूराम के साथ मिलकर गरीबों और
किसानों की भलाई में अनेक कानून बनवाए।
वो जाट जग्गा डाकू ही था जो अमीरों का धन लूट
कर गरीबों में बांट देता था।
वो जाट हरफूल जाट जुलाणी ही था जिसने
अंग्रेजों के राज में गऊ हत्थे तोङे थे।
वो जाट बाबा ज्याणी ही था (कुछ जाटों से
ईर्ष्या करने वालो ने इन्हें ज्याणी चोर
भी लिखा है) जिसने अदली खान की कैद से नार
महकदे को छुङाया था।
वो जाट बाबा शाहमल ही था जो 1857 में
लङा था।
अन्य लाखों करोड़ों जाटों ने धर्म, देश, कौम के लिए
कुर्बानियां दी हैं।
ऐसे मेरे बहादुर पूर्वजों पर मुझे गर्व है।
हमें मुझे #जाट होने पर गर्व है"
JALARAM HUDDA

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