कल्पना के आधार पर बनाये गप्पोड ग्रन्थो में कुछ बातें ऐसी लिखी है कि जिसे आप अगर सौ बार पढ़ो तो भी समझ नही आने वाली....
जैसे आशिक बाबा तुलसीदास रामचरित मानस/बालकाण्ड मे लिखते हैं कि.....
"कौतुक देखि पतंग भुलाना।
मास दिवस तेहि जात ना जाना।।"
अर्थात - जब थाईलैंड के राजा दसरथुद्दीन के यहाँ रामजी पैदा हुये तो उनके जन्मोत्सव के समारोह को देखकर सूर्य एक महीने आकाश में ही ठहर गया!
अब सवाल यह है कि अगर सूर्य एक ही जगह रुक गया तो फिर सूर्य डूबा ही नहीं, रात हुई ही नहीं और अगला दिन भी नहीं हुआ.... तो बाबा तुलसीदास ने एक महीने की गिनती कैसे की ?
पूर्वकाल में हमारे बुजुर्ग लोग आकाश में सूर्य की स्थिति को देखकर ही समय का अंदाजा लगाते थे, और जब सूर्य ही ठहर गया तो इस बाबा तुलसीदास को पता कैसे चला कि एक महीना हो गया! क्या तुलसीदास त्रेतायुग में टाईटन या सोनाटा की घड़ी लगाकर घंटे गिन रहे थे?
अच्छा है कि ये शास्त्र भारतीय ही पढ़ते है, अगर विदेशी पढ़ते तो भारतीय भूगोल और तुलसीदास के ज्ञान पर थूक रहे होते !
साभार केसर देवी
जैसे आशिक बाबा तुलसीदास रामचरित मानस/बालकाण्ड मे लिखते हैं कि.....
"कौतुक देखि पतंग भुलाना।
मास दिवस तेहि जात ना जाना।।"
अर्थात - जब थाईलैंड के राजा दसरथुद्दीन के यहाँ रामजी पैदा हुये तो उनके जन्मोत्सव के समारोह को देखकर सूर्य एक महीने आकाश में ही ठहर गया!
अब सवाल यह है कि अगर सूर्य एक ही जगह रुक गया तो फिर सूर्य डूबा ही नहीं, रात हुई ही नहीं और अगला दिन भी नहीं हुआ.... तो बाबा तुलसीदास ने एक महीने की गिनती कैसे की ?
पूर्वकाल में हमारे बुजुर्ग लोग आकाश में सूर्य की स्थिति को देखकर ही समय का अंदाजा लगाते थे, और जब सूर्य ही ठहर गया तो इस बाबा तुलसीदास को पता कैसे चला कि एक महीना हो गया! क्या तुलसीदास त्रेतायुग में टाईटन या सोनाटा की घड़ी लगाकर घंटे गिन रहे थे?
अच्छा है कि ये शास्त्र भारतीय ही पढ़ते है, अगर विदेशी पढ़ते तो भारतीय भूगोल और तुलसीदास के ज्ञान पर थूक रहे होते !
साभार केसर देवी
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