#किस्सा ऐ #आजम_खान
आजम खान का पिता मुमताज अली दरअसल मुस्लिम डोम/मिरासी जाति का था जो रामपुर के नवाब राजा वली खान बहादुर की घोडाबग्घी चलाते थे, एक दुर्घटना में उनकी मृत्यु होने के बाद परिवार पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा और आजम की माँ रुबिया को रामपुर नवाब के महल में ही रसोई सम्भालने के लिए पगार पर रख लिया गया।
रुबिया कम उम्र में ही विधवा हुई थी तो एक दिन नवाब रामपुर की नजर उसपर पड़ी और जल्द ही रुबिया की गिनती रामपुर नवाब की सबसे चहेती रखैल के रूप में होने लगी।
इसी बीच भारत विभाजन से एक वर्ष पूर्व आजम का जन्म हुआ और रुबिया ने नवाब पर उसे सार्वजनिक रूप से अपनाने का दबाव डाला,नवाब ने उसका स्कूल में दाखिला आजम खान नाम से तो करवा दिया पर बाप का नाम मुमताज लिखवाया!!
कुछ दिन बाद ही नवाब का मन रुबिया से भर गया था और उसने 1948 में उसे महल से बाहर निकाल दिया,
अब रुबिया फिर से बेसहारा हो गयी और उसे सहारा दिया अवध के मितानी ताल्लुक के एक अधेड़ राजपूत ताल्लुकेदार अरिमर्दन सिंह ने जो नवाब रामपुर के मित्र थे और अक्सर रामपुर उनसे मिलने आते थे।
पर यहाँ भी रुबिया ज्यादा दिन टिक नही पायी और अरिमर्दन सिंह के परिवार ने लखनऊ के उस मकान से भी रुबिया को बेदखल कर दिया जो उसे अरिमर्दन सिंह ने उपहार में दिया था।।
अब रुबिया अपने कम उम्र के बालक आजम को लेकर दर दर भटकने लगी, इसके बाद वो किस किसके साथ रही, इसकी किसी को जानकारी नही है, लेकिन आजम खान किसी तरह पढ़ लिख गया और लॉ करने के बाद सीधा राजनीती में आ गया और कट्टरपंथी इस्लाम की नाव पर सवार होकर राजनीती में आगे बढ़ता चला गया!!
आजम खान ने चाहे जितनी मर्जी तरक्की की हो किन्तु वो बचपन में उसकी माँ और उसके साथ दुर्व्यवहार करने वाले रामपुर के नवाब और राजपूत ताल्लुकेदार को नही भूल पाया,
आज भी आजम खान उसी शिद्दत से सामन्तवाद, नवाब, ठाकुरो से जूनून की हद तक नफरत करता है और उसकी ये जहरीली सोच अक्सर उसके बयानों से पता चल जाती है।
सच कहें तो आजम खान को आज तक पता नही चल पाया कि उसका जैविक पिता दरअसल है कौन??
रामपुर का नवाब??
ताल्लुकेदार अरिमर्दन सिंह??
या उसकी माँ रुबिया का पहला पति मुमताज खान??
इस सवाल का जवाब सबसे बेहतर रुबिया दे सकती थी पर अफ़सोस ,उसके पूछने से पहले ही वो इस दुनिया से चल बसी!!!
आज भी रामपुर नवाब के महल के ठीक सामने तेलियों वाली गली में कंजर बस्ती में मुमताज खान और रुबिया का टूटा फूटा मकान मौजूद है जिसमे अब आजम का ड्राइवर शौकत कुरैशी रहता है।
आजम खान की आज की मनोदशा दरअसल उनके बदहाल बचपन के कारण है और वो आज भी उस दौर को भूल नही पाते हैं।
आजम खान का पिता मुमताज अली दरअसल मुस्लिम डोम/मिरासी जाति का था जो रामपुर के नवाब राजा वली खान बहादुर की घोडाबग्घी चलाते थे, एक दुर्घटना में उनकी मृत्यु होने के बाद परिवार पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा और आजम की माँ रुबिया को रामपुर नवाब के महल में ही रसोई सम्भालने के लिए पगार पर रख लिया गया।
रुबिया कम उम्र में ही विधवा हुई थी तो एक दिन नवाब रामपुर की नजर उसपर पड़ी और जल्द ही रुबिया की गिनती रामपुर नवाब की सबसे चहेती रखैल के रूप में होने लगी।
इसी बीच भारत विभाजन से एक वर्ष पूर्व आजम का जन्म हुआ और रुबिया ने नवाब पर उसे सार्वजनिक रूप से अपनाने का दबाव डाला,नवाब ने उसका स्कूल में दाखिला आजम खान नाम से तो करवा दिया पर बाप का नाम मुमताज लिखवाया!!
कुछ दिन बाद ही नवाब का मन रुबिया से भर गया था और उसने 1948 में उसे महल से बाहर निकाल दिया,
अब रुबिया फिर से बेसहारा हो गयी और उसे सहारा दिया अवध के मितानी ताल्लुक के एक अधेड़ राजपूत ताल्लुकेदार अरिमर्दन सिंह ने जो नवाब रामपुर के मित्र थे और अक्सर रामपुर उनसे मिलने आते थे।
पर यहाँ भी रुबिया ज्यादा दिन टिक नही पायी और अरिमर्दन सिंह के परिवार ने लखनऊ के उस मकान से भी रुबिया को बेदखल कर दिया जो उसे अरिमर्दन सिंह ने उपहार में दिया था।।
अब रुबिया अपने कम उम्र के बालक आजम को लेकर दर दर भटकने लगी, इसके बाद वो किस किसके साथ रही, इसकी किसी को जानकारी नही है, लेकिन आजम खान किसी तरह पढ़ लिख गया और लॉ करने के बाद सीधा राजनीती में आ गया और कट्टरपंथी इस्लाम की नाव पर सवार होकर राजनीती में आगे बढ़ता चला गया!!
आजम खान ने चाहे जितनी मर्जी तरक्की की हो किन्तु वो बचपन में उसकी माँ और उसके साथ दुर्व्यवहार करने वाले रामपुर के नवाब और राजपूत ताल्लुकेदार को नही भूल पाया,
आज भी आजम खान उसी शिद्दत से सामन्तवाद, नवाब, ठाकुरो से जूनून की हद तक नफरत करता है और उसकी ये जहरीली सोच अक्सर उसके बयानों से पता चल जाती है।
सच कहें तो आजम खान को आज तक पता नही चल पाया कि उसका जैविक पिता दरअसल है कौन??
रामपुर का नवाब??
ताल्लुकेदार अरिमर्दन सिंह??
या उसकी माँ रुबिया का पहला पति मुमताज खान??
इस सवाल का जवाब सबसे बेहतर रुबिया दे सकती थी पर अफ़सोस ,उसके पूछने से पहले ही वो इस दुनिया से चल बसी!!!
आज भी रामपुर नवाब के महल के ठीक सामने तेलियों वाली गली में कंजर बस्ती में मुमताज खान और रुबिया का टूटा फूटा मकान मौजूद है जिसमे अब आजम का ड्राइवर शौकत कुरैशी रहता है।
आजम खान की आज की मनोदशा दरअसल उनके बदहाल बचपन के कारण है और वो आज भी उस दौर को भूल नही पाते हैं।
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