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शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2019

[इस देश पर पेहला हक मूलनिवासियों के है

जो लोग पंडित दीनदयाल,हेडगेवार,सावरकर की जयंती-पुण्यतिथि पर सोशल मीडिया में फूल लेकर खड़े नजर आए तो समझो बस बिकने को आतुर मुर्गा है!

जिंदगी भर हमारे गांव-गवाड़ में दाना चुग्गा,कुकड़-कूँ किया और अंडा संघियों के बाड़े में देने को बांग दे रहा है!

जो लोग गांधी-नेहरू की प्रशंसा की पोथी उठाये घूम रहे है उनको यह समझना चाहिए कि बाप ने लड़ने के लिए जो संघर्ष इन ब्राह्मणवादी मंडली कांग्रेस के सामने किया उसके आगे समर्पण करके अपने आशियाने को आबाद रखने की कोशिश कर रहे है!

कांग्रेस ने देश को आजादी नहीं,अंग्रेजों की रहमत पर देश के लोगों को गुलामी दी और संघियों ने उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए देश के लोगों का पुरुषार्थ बेचने का धंधा आगे बढ़ाया है!

इस देश पर कब्जा चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी हो,शरणार्थियों का ही रहा है!हर देश की सत्ता में उस देश के मूलनिवासी है और संयुक्त राष्ट्र संघ भी यही कहता है कि देश की सत्ता पर पहला हक मूलनिवासीयों का होना चाहिए!

गांधी दक्षिणी अफ्रीका में तो मूलनिवासी लोगों के लिए लड़ता है मगर भारत मे आकर विदेशी शरणार्थियों को सत्ता पर कब्जा करने की मुहिम में लग जाता है और गांधी पूंजीपतियों, पूंजीपति देशों,उनकी धौंस से चलने वाले संयुक्त राष्ट्र का आइकॉन बन जाता है!

इस देश की पहचान व वजूद किसान है,इस देश के शिल्पकार मजदूर है,यह देश किसान कमेरों का है!

कांग्रेस व बीजेपी दो सत्यानाशी के पौधे है और इनके इर्द-गिर्द घूमने वाले लोग इस देश की जनता को इन सत्यानाशी के पौधों का जहर पिलाने वाले है!

जिस तरह का खेल चल रहा है उसके हिसाब से भारत का भविष्य EVM से नहीं सड़कों पर तय होगा!कुछ भी हो इस देश के लिए सड़कों का सुना होना बेहद ख़ौफ़नाक है!

प्रेमाराम सियाग

मंगलवार, 8 अक्तूबर 2019

ब्राह्मण कहा से आये

Jalaramhudda

ब्राह्मण विदेशी है प्रमाणज

Jalaram

1. ऋग्वेद में श्लोक 10 में लिखा है कि हम (वैदिक ब्राह्मण ) उत्तर ध्रुव से आये हुए लोग है। जब आर्य व् अनार्यो का युद्ध हुआ ।
2. The Arctic Home At The Vedas बालगंगाधर तिलक (ब्राह्मण) के द्वारा लिखी पुस्तक में मानते है कि हम बाहर आए हुए लोग है ।
3. जवाहर लाल नेहरु ने (बाबर के वंशज फिर कश्मीरी पंडित बने) उनकी किताब Discovery of India में लिखा है कि हम मध्य एशिया से आये हुए लोग है। यह बात कभी भूलना नही चाहिए। ऐसे 30 पत्र इंदिरा जी को लिखे जब वो होस्टल में पढ़ रही थी।
4. वोल्गा टू गंगा में “राहुल सांस्कृतयान” (केदारनाथ के पाण्डेय ब्राहम्ण) ने लिखा है कि हम बाहर से आये हुए लोग है और यह भी बताया की वोल्गा से गंगा तट (भारत) कैसे आए।
5. विनायक सावरकर ने (ब्राम्हण) सहा सोनरी पाने “इस मराठी किताब में लिखा की हम भारत के बाहर से आये लोग है।
6. इक़बाल “काश्मीरी पंडित ” ने भी जिसने “सारे जहा से अच्छा” गीत लिखा था कि हम बाहर से आए हुए लोग है।
7. राजा राम मोहन राय ने इग्लेंड में जाकर अपने भाषणों में बोला था कि आज मै मेरी पितृ भूमि यानि अपने घर वापस आया हूँ।
8. मोहन दास करम चन्द गांधी (वेश्य) ने 1894 में दक्षिणी अफ्रीका के विधान सभा में लिखे एक पत्र के अनुसार हम भारतीय होने के साथ साथ युरोशियन है हमारी नस्ल एक ही है इसलिए अग्रेज शासक से अच्छे बर्ताव की अपेक्षा रखते है।
9. ब्रह्म समाज के नेता सुब चन्द्र सेन ने 1877 में कलकत्ता की एक सभा में कहा था कि अंग्रेजो के आने से हम सदियों से बिछड़े चचेरे भाइयों का (आर्य ब्रह्मण और अंग्रेज ) पुनर्मिलन हुआ है।
इस सन्दर्भ में अमेरिका के Salt lake City स्थित युताहा विश्वविधालय (University of Utaha’ USA) के मानव वंश विभाग के वैज्ञानिक माइकल बमशाद और आंध्र प्रदेश के विश्व विद्यापीठ विशाखा पट्टनम के Anthropology विभाग के वैज्ञानिकों द्वारा सयुक्त तरीको से 1995 से 2001 तक लगातार 6 साल तक भारत के विविध जाति-धर्मो और विदेशी देश के लोगो के खून पर किये गये DNA के परिक्षण से एक रिपोर्ट तैयार की। जिसमें बता गया कि भारत देश की ब्राह्मण जाति के लोगों का DNA 99:96 %, कश्त्रिय जाति के लोगों का DNA 99.88% और वेश्य-बनिया जाति के लोगो का DNA 99:86% मध्य यूरेशिया के पास जो “काला सागर ’Blac Sea” है। वहां के लोगो से मिलता है। इस रिपोर्ट से यह निष्कर्ष निकालता है कि ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य-बनिया विदेशी लोग है और एस सी, एस टी और ओबीसी में बंटे लोग (कुल 6743 जातियां) और भारत के धर्म परिवर्तित मुसलमान, सिख, बुध, ईसाई आदि धर्मों के लोगों का DNA आपस में मिलता है। जिससे साबित होता है कि एस सी, एस टी, ओबीसी और धर्म परिवर्तित लोग भारत के मूलनिवासी है। इससे यह भी पता चलता है कि एस सी, एस टी, ओबीसी और धर्मपरिवर्तित लोग एक ही वंश के लोग है। एस सी, एस टी, ओबीसी और धर्म परिवर्तित लोगों को आपस में जाति के आधार पर बाँट कर ब्राह्मणों ने सभी मूलनिवासियों पर झूटी धार्मिक गुलामी थोप रखी है। 1900 के शुरुआत से आर्य समाज ब्राह्मण जैसे संगठन बनाने वाले इन लोगो ने 1925 से हिन्दु नामक चोला पहनाकर घुमाते आ रहे है। उक्त बात का विचार हमे बहुत ही गहनता से करने की आवश्यकता है। राष्ट्रिय स्वयं सेवकसंघ के जरिये 3% ब्राह्मण 97% मूलनिवासी भारतीयों पर पिछ्ले कई सालों से राज करते आ रहे हैं।
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शनिवार, 5 अक्तूबर 2019

बाबा टिकैत

बाबा टिकैत...

वो भी समय था जब पश्चिमी उत्तरप्रदेश के गांव सिसौली से कोई ऊंची आवाज में बोल देता तो दिल्ली के लुटियन जॉन में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो जाता!गांव में मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पूछने आते थे कि "टिकैत बता तेरी इच्छा क्या है?"

दिल्ली का वोट क्लब खचाखच भरता था और पूरी सरकार घुटनों के बल होती थी।आज बाबा टिकैत के वंशजों को दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर ही लाठियों से रोक दिया जाता है,दिल्ली में घुसने तक नहीं दिया जाता है!

अदम गोंडवी का एक शेर है...

भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है!
अहले हिन्दुस्तान अब तलवार के साये में है!!

बाबा टिकैत अंतिम दिनों में व्यवस्था व हालातों से ज्यादा अपने लोगों की दशा व दिशा को लेकर बेहद निराश थे!निराश नेताओं व युवाओं को लेकर थी।आज दृश्य देख लीजिए

अपनी शानो-शौकत में मर्तबा आला रहे
हाथों में फ़ोन व दिमाग मे बलात्कारी बाबा रहे
खेल अब शोहरत पर जा टिका है " प्रेम"
चाहे किसान आत्महत्या का बोलबाला रहे
एक किसान नेता बनने को क्या चाहिए
5-7बेरीढ़ के चमचे,माइक व माला रहे

आज किसान नेता बिकाऊ माल है।बोलियां लगती है खुले बाजार में और किसानों के बच्चे खुश होकर महफ़िल सजाते है कि मेरे वाले की बोली अच्छी लगी है!मेरा वाला बड़ा हो गया,मेरे वाले का कद बढ़ गया है!

यहां अब कदम बढ़ाने की बातें नहीं होती जनाब!अब अपने किसान सेनापति का कद बढ़ाने के लिए भक्तों की सेनाएं तैयार होती है!

न भूली होती जड़ें अपनी
तो खंजर का कोई निशान नहीं होता!
मुद्दे त्याग भक्त बन बैठे
अब मंजर का कोई हिसाब नहीं होता!!

पीछे मुड़कर देखते है तो गर्व होता है कि हमारे पुरखे संघर्ष के सेनापति रहे और उनकी हुंकारों पर हुक्काम डोलते थे,वर्तमान देखे तो उस मोड़ पर खड़े है जहां से न कोई दिशा और न दशा बदलने को कोई साथी खड़ा है!भविष्य सोचकर तो रूह कांप जाती है!

आज बिकाऊ किसान नेताओं ने किसानों को मंडी का सामान समझ लिया है व उनके बच्चों को जयकारा गैंग के सिपाही!

मैँ अदब से सलाम करता हूँ
तो भक्त समझने लगते है!
जब दूरी बनाकर रखता हूँ
नादान समझने लगते है!!

क्योंकि अब निजाम तानाशाह है और किसान नेताओं को यकीन हो चला है कि तानाशाही के महिमामंडन में ही उनकी सुरक्षा है!कोई किसान पुत्र सच को सच कहने लगे तो सबसे पहले बिकाऊ किसान नेताओं की चूलें हिलती है क्योंकि शहंशाह को गुलाम सेनापति पसंद है जो सच को नीचे ही दबाकर रखे!

साभार

प्रेमाराम सियाग

गुरुवार, 1 अगस्त 2019

ऐतिहासिक व वर्तमान परिवेश में जाट समाज

जब भी मैं जाटों के बारे में लिखता हूँ तो समझा जाना चाहिए कि मैं भारत के वजूद की बात कर रहा हूँ।ज्ञात इतिहास के पन्नों,उजले लम्हों की बात करते है छोटे-छोटे कबीलों व जनपदों का एकीकरण करके चंद्रगुप्त मौर्य मगध साम्राज्य खड़ा करता है।आजादी के आंदोलन की महत्वपूर्ण डोर समझे जाने वाले गांधीजी ने अपना सफर अहिंसा से शुरू किया 1942में “करो या मरो”का नारा देकर हिंसा पर खत्म किया था।चंद्रगुप्त मौर्य ने हिंसा को खत्म करने के लिए हिंसा का रास्ता अख्तियार किया और इस सफर को महान सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध जीतकर अहिंसा पर खत्म किया।

तमाम इतिहासकारों ने सिकंदर को इतना महान घोषित किया कि तत्कालीन समय मे उसके मुकाबले कोई राजा नहीं था मगर झेलम नदी के किनारे जब जाट राजा पौरस के एक वार से ही सिकंदर घोड़ी से गिर पड़ा और उस चोट से ही दुनियां से रुखसत हो गया।



78ईसवी में महान जाट राजा कनिष्क ने शक संवत चलाया जिस आज भारतीय पंचांग के रूप में उपयोग किया जाता है।कनिष्क को भारतीय इतिहाड़कारों ने कोई जगह नहीं दी मगर अफगानिस्तान के स्कूली पाठ्यक्रम में बड़ी शान से पढ़ाया जाता है क्योंकि उन लोगों उपासना पद्धति नई अपनाई है अपने पुरखों को नहीं भूले है।

57बीसी में मालवा में महान जाट राजा विक्रमादित्य हुए जिसने विक्रम संवत चलाया था और यह भारतीय पंचांग का आधार बन गया।उनकी ताकत,न्यायप्रियता व शोहरत ऐसी थी कि उनका नाम एक उपाधि बन गया और बाद के राजा अपने नाम के साथ विक्रमादित्य को उपाधि के रूप में प्रयोग करते थे।

सातवीं सदी में महान जाट राजा हर्षवर्धन हुए जिसे दोगले इतिहासकार इतिहास में उचित जगह देने में नाकाम हो गए थे।वर्तमान अफगानिस्तान के छोटे से इलाके गजनी का एक लुटेरा दूसरे लुटेरों को एकत्रित करता हुआ 1025 में शान से सोमनाथ का मंदिर लूटकर चला गया और सिंध-मुल्तान के जाटों ने उस धन को वापिस लूटा व घायलावस्था में गजनी की मौत हो गई।गजनी का अफगानिस्तान के इतिहास में कहीं कोई जिक्र नहीं है मगर भारतीय इतिहासकारो ने अपने राजाओं की नाकामी व पोंगा-पंथियों के षड्यंत्र को कमतर न बताने के चक्र में महमूद गजनी को महान राजा बनाकर भारतीय जनमानस के सामने पेश कर दिया।

1192 में मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान की हत्या कर दी थी और तमाम जयचंद तमाशबीन बन गए थे।भले ही उस समय किसी जाट राजा के हाथ मे कोई साम्राज्य न रहा हो मगर रामलाल खोखर के नेतृत्व में कुछ जाट किसान जुटे और 1206ईसवी में गौरी की हत्या करके पृथ्वीराज चौहान की मौत का बदला लिया।

आपस मे सत्ता की लालसा में लड़ रहे स्थानीय राजाओं की फुट की बदौलत एक लुटेरा तैमूर लंग आता है और लूट-खसोट शुरू कर देता है तो जाट हरवीर गुलिया किसानों को एकत्रित करके तैमूर लंग को मौत के घाट उतार देता है।

महाराजा सूरजमल,महाराजा जवाहर सिंह का इतिहास कौन नहीं जानता है!जब रियासतों की अधीनता स्वीकार करने व गुलामी के टैक्स वसूली कार्यकर्ता बनने के लिए मुगल दरबार मे बहन-बेटियों की डोलियां भेजी जा रही थी उस समय एक ब्राह्मण बेटी हरदौली को छुड़ाने के लिए भरतपुर का जाट राजा दिल्ली पर चढ़ाई करता है।महाराजा रणजीत सिंह लाहौर को अपनी राजधानी बनाकर अफगानिस्तान तक राज करते है।अभेद्य कश्मीर को पहली बार जाट हरिसिंह नलवा ही जीतता है।जब देशी राजा भाड़े के कार्यकर्ता बन गए तो बृजमंडल से जाट वीर गोकुला किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ खड़ा होकर लड़ता है।

अपना जीवित कतरा-कतरा मानवता के लिए कुर्बान कर दिया मगर किसी उपासना पद्धति तले आने से इनकार कर दिया।धार्मिक कट्टरता के खिलाफ राजाराम जाट खड़ा होता है और औरंगजेब को आइना दिखाते हुए अकबर का मकबरा खोदकर अस्थियां निकालकर जला डालता है।

इस अमर बलिदानी कौम के बारे में लिखना शुरू करता हूँ तो हर अगली लाइन लिखते हुए एक जाट की महान कुर्बानी कुछ लिखने को मजबूर करती जाती है।1857की क्रांति के बारे में लिखना शुरू करता हूँ तो हर कस्बे से नाहर सिंह तेवतिया जैसे शूरमा मेरी कलम खींचते जाते है तो पटियाला के राजा जाट भूपेंद्रसिंह जैसे रोल्स रॉयस कारों को कूड़ेदान बनाकर अपने स्वाभिमान को अम्बर में रखते नजर आते है।

आजादी के आंदोलन के आईने से चंद कांग्रेसी नेताओं को किनारे कर दें तो हर इलाके से आजाद हिंद फौज के संस्थापक राजा महेंद्र प्रताप आपको नजर आते है तो हर खेत-खलिहान से अंग्रेजों के खिलाफ उठती बगावत की आंधी नजर आती है।

हर कालखंड में जब भी किसी भी राजा ने जनता पर अत्याचार किए तो जाट किसानों ने उसका मुकाबला किया।हर कालखंड में जब देशी राजाओं की आपसी फूट के कारण विदेशी लुटेरों ने वतन पर घात लगाया तो जाटों ने वतन की आबरू की हिफाजत की।जब-जब जरूरत पड़ी तब-तब अप्रशिक्षित किसान सैनिक बने और दो-दो हाथ करने को आगे आये।जब सरकारों को जरूरत पड़ी तो प्रशिक्षित जाट रेजिमेंट के रूप में दुनियाभर में अपने शौर्य की अमर गाथा लिख डाली।चाहे पिछले साल डोकलाम में खड़ा होना हो या अभी पुलवामा अटैक के बाद कश्मीर जाना हो सबसे पहले जाट रेजिमेंट ही पहुंचती है।

आज मेरा इरादा इतिहास लिखना नहीं है बल्कि जाट युवा कुछ भूल गए है उनको कुछ याद दिलाना चाहता हूँ।युवाओं से कहना चाहता हूँ कि अपने पुरखों की जीवनियां पढ़ो,उनके आदर्शों को पढ़ो और अपने जीवन मे ढालो!सियासत के चंद गद्दारों व धर्म के सौदागरों द्वारा हवाओं के साथ बहने की भूल मत करो!तुम इस देश का वजूद हो और तुम्हारे कंधो पर इस वतन की हिफाजत का,अमर तिरंगे को थामकर रखने का भार है।

जिन सीनों ने कभी न पूछा,गोली का अंजाम क्या है!
उसकी औलादें पूछ रही है,मजहब-ए-निजाम क्या है?

कितने बड़े शर्म की बात है!राजा जवाहर सिंह की माँ ने एक उलाहना दिया था कि तेरे बाप की पगड़ी दिल्ली में पड़ी और तूं अपनी पगड़ी सजा रहा है तो जवाहरसिंह ने दिल्ली को उधेड़कर रख दिया था और आज गद्दारों के षड्यंत्र द्वारा सैंकड़ों जाट युवा हरियाणा की जेलों में पड़े है मगर जाट युवा मुँह पर मूच्छों के ताव लगाकर कह रहे है जाट बलवान,जय भगवान!

बच्चों के पापा घर कब आएंगे
पूछ रही तुम्हारी बहन-बेटियां पनघट पर!
तुम भेजने में लगे हो गुंडों को
विधानसभा और संसद की चौखट पर!!

कब सवाल करोगे?कब उठोगे?कब जागोगे?आज मैं तुम्हारा मनोरंजन करने के लिए कुछ नहीं लिखूंगा।मेरी कलम आज मेरा दर्द उगलेगी,समाज का सच उगलेगी जिसे तुम्हे स्वीकार करना ही होगा!

तूफान रुके,लश्कर रुके,
मगर रुकेगी इस कलम की धार नहीं!
मुझे मंजिल का सिरा चाहिए
यह शर्मिदगी भरी मझधार नहीं!!

आज तुम हिन्दू बनकर मंदिर बनाने निकले हो तो मुस्लिम बनकर मस्जिद की जंग लड़ रहे हो!तुम हिन्दू-मुस्लिम की जंग लड़ रहे हो तो तुमसे मेरे कुछ सवाल भी है और कुछ नसीहतें भी!

क्यों नफरत की बू आती है पुरोहित और पुजारी से
क्यों प्रवचनी जहर फैलाते चौक और चौबारों से?
क्यों जिहादी तहरीरें होती मुल्ले और मौलवीयों से
क्यों देश विरोधी नारे गूंजते मस्जिद की दीवारों से??

जाट युवाओं तुम्हारे पुरखों का धर्म प्रकृति रही है,मानवता रही है इंसानियत रही है उनको पढ़ लो!यह धर्म का धंधा तुम्हारे बाप-दादाओं के सिलेबस में नहीं था तुम क्यों इतने उतावले हो रहे हो?हम इस देश का सबसे बड़ा मूलनिवासी समुदाय है।हमने प्रकृति पूजा भी भी देखी,बौद्ध व जैन धर्म भी देखे तो नास्तिक आजीवक सम्प्रदाय भी देखें है।हमने ब्राह्मण धर्म देखा है तो इस्लाम व ईसायत भी देखी है।जब धर्म की जकड़न हमारे ऊपर बढ़ती तो हमारे पुरखे उसके खिलाफ बगावत करते नजर आते है।मगर बड़ा दुःख होता है कि जिसके हाथों में अमर तिरंगा है वो तिरंगा छोड़कर धार्मिक झंडा उठाये घूम रहे है!

मेरे जाट वीरों!घना अंधेरा दिखे
तो मुझे तुम एक महान दहेज दो!
तोड़ दो ये धर्म के बंधन अब तुम
एक बार मेरे भगत को संसद भेज दो!!

अंत मे मैं इतना ही कहना चाहता हूँ कि

जाट युवाओं देख लो,
मेरी व्यथा अब तुम्हारे दरबार मे है!
तुम्हारी लाशों से सरकार बनी
और कातिल अब सरकार में है!!

(

शनिवार, 20 जुलाई 2019

चित्तौडगढ़ किले के निर्माता जाट राजा

ANCIENT JAT HISTORY
चित्तौडगढ़ किले के निर्माता जाट राजा चित्रांग(चित्रांगद) मोर —–मोर ,मोरी ,मयूर ,मौर्य जाट राजवंश –M.S. T
ANCIENT JAT/GETAE HISTORY
1 year ago
#आईये आज हम जानते है मौर जाट राजवंश और चितौड़गढ़ के बारे में!
@Manvendra Singh Tomar जी को धन्यवाद🙏

राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ नगर और किले के निर्माता जाट राजा चित्रांग मौर थे जिनको चित्रांगद मोरी भी बोलते थे चित्तौडग़ढ़ की स्थापना चित्रकूट नाम से की गयी कर्नल जेम्स टॉड हो दसरथ शर्मा हो कोई भी इतिहासकार हो सभी इतिहास कार इस बात पर एक मत है की जाट राजा चित्रांग ही चित्तौडग़ढ़ नगर और किले के निर्माता थे उसी राजा ने चित्रंग तालाब का भी निर्माण कराया। ऐसा वर्णन “कुमारपाल प्रबन्ध” पत्र 30-2 में आता है। यह मोर वंश राजपूत जाति में नहीं मिलता है जाटों में इस मोर वंश की आबादी राजस्थान ,पंजाब ,मध्यप्रदेश ,उत्तरप्रदेश महाराष्ट्र में है इसके अतरिक्त मौर जाट पाकिस्तान और जर्मनी में भी बड़ी संख्या में है चित्रांग मौर के छोटे पुत्र के वंशज चितरवाड़ा मौर कहलाते है जिनका निवास मालवा क्षेत्र में है यह लोग नीमच में 14 ग्रामो में निवास करते इनके साथ वहां इनके भाई मोर भी निवास करते है दोनों शाखाओ के नीमच में कुल 30 ग्राम है
सातवीं या आठवीं शताब्दी में परमार अग्नि यज्ञ शुद्धि से राजपूत जाति में शामिल हुए इस पहले परमार /पंवार वंश का अस्तित्व जाटों में मौजूद था परमार वंश से इनको जोड़ना पूर्ण रूप से गलत है क्योकि मौर वंश तो परमारो से पहले ही अस्तित्व में था ऐसे में पिता से पुत्र होता है नाकि पुत्र से पिता इतिहासकारो ने सम्पूर्ण मौर्य वंश को तक्षक नागवंशी जाटों की शाखा लिखा है प्रारम्भ में यह लोग जिस तराई क्षेत्र में बसे वहां मौर पक्षी का निवास अधिक संख्या में होने तथा मौर को अपना प्रिय पक्षी माने के कारन यह मौर कहलाये डॉ hr गुप्ता के अनुसार मौर लोग कोह मौर के निवासी थे जो पेशावर से भी आगे है

ये पोस्ट कितनी सच्ची कितनी झुठी मै नही जानती मगर मै ये जानती हु कि हमारा असली इतिहास बामणो मे छुपाया और हमे गुमराह किया है।

इसलिए ही बामसेफ बार बार कहता है कि जो अपना इतिहास नही जानते वो इतिहास लिख नही सकते।

वो दीनदयाल और गोवलकर के गुणगान करेगे के क्योकि सीधी सी बात ज अपने बाप को नही जानेगे वो दुसरे बाप के ही गुण गाते रहेगे।

भारत के मूलनिवासी लोगो अपना इतिहास खोजो।

शुक्रवार, 19 जुलाई 2019

जाट किसी पहचान का मोहताज नहीं है अपने आप मे एक पहचान है

वो जाट ही थे जिन्होंने सोमनाथ के मंदिर
का ज्यादातर खजाना वापस लूटकर मंदिर वापस ले
आये थे।
वो जाट रामलाल खोखर ही था जिसने पृथ्वीराज
चौहान के हत्यारे मोहम्मद गौरी को सिन्ध में मार
डाला था।
वो जाट महाराजा रणजीत सिंह ही था जिसने
मुगलों को काबुल, कंधार में जा जाकर पीटा था।
वो जाट वीर गोकुला और माडु जाट ही थे जिन्होंने
औरंगजेब की मरोङ तोङ कर रख दी थी।
वो जाट चूड़ामण ही था जो जोधपुर के महाराज
अजीत सिंह की पुत्री को फरुखसियर पठान से
छुङाकर लाया था।
वो जाट राजा नाहर सिंह ही था जो देश के लिए
1857 में पहले शहीद हुए।
वो जाट महाराजा सूरजमल ही था जिसने घायल
मराठों की मदद की और जिसके जीते
जी किसी दुश्मन की भरतपुर की तरफ आँख उठाने
की हिम्मत ना हुई।
वो जाट राजा जवाहर सिंह ही था जो लाल किले के
किवाङ तक उतार लाया था जो आज भी लोहगढ़ के
किले में चढ़े हैं।
वो जाट करतार सिंह ग्रेवाल
ही था जो छोटी सी उम्र में देश के लिए फाँसी पर
झूल गये।
वो जाट भगत सिंह संधू ही था जिसने देश
को आजादी दिलाई।
वो जाट चौधरी छोटूराम ही था जिसने
किसानों की जमीन की कुर्की बन्द करा दी।
वो जाट चौधरी सेठ छाजूराम ही था जिसने पूरे
हरियाणा में जाट स्कूल और कोलेजों को खङा कर
दिया।
वो जाट ताऊ देवीलाल ही थे जिन्होंने गरीबों और
किसानों की भलाई में साईकिल टैक्स, रेङियो टैक्स
आदि माफ किए और अनेक कानून बनवाए।
अपने सिर से प्रधानमंत्री का ताज वीपी सिंह के
सिर पर रखा।
वो जाट चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत ही थे,
जो राजनीति में ना होते हुए
भी सरकारों को हिला देते थे।
वो जाट मेजर शैतान सिंह, ब्रिगेडियर होशियार
सिंह, कैप्टन सौरभ कालिया ही थे जिन्होंने कई
लङाईयों में देश की आन बचाई।
वो जाट सैनिक ही थे जो 48, 62, 65, 71 और
कारगिल में देश के लिए शहीद हुए।
वो जाट सर सिकन्दर हयात खान चीमा (मुस्लिम
जाट) ही थे जिन्होंने संयुक्त पंजाब में चौधरी सर
छोटूराम के साथ मिलकर गरीबों और
किसानों की भलाई में अनेक कानून बनवाए।
वो जाट जग्गा डाकू ही था जो अमीरों का धन लूट
कर गरीबों में बांट देता था।
वो जाट हरफूल जाट जुलाणी ही था जिसने
अंग्रेजों के राज में गऊ हत्थे तोङे थे।
वो जाट बाबा ज्याणी ही था (कुछ जाटों से
ईर्ष्या करने वालो ने इन्हें ज्याणी चोर
भी लिखा है) जिसने अदली खान की कैद से नार
महकदे को छुङाया था।
वो जाट बाबा शाहमल ही था जो 1857 में
लङा था।
अन्य लाखों करोड़ों जाटों ने धर्म, देश, कौम के लिए
कुर्बानियां दी हैं।
ऐसे मेरे बहादुर पूर्वजों पर मुझे गर्व है।
हमें मुझे #जाट होने पर गर्व है"
JALARAM HUDDA

बुधवार, 10 जुलाई 2019

कल्पना के आधार पर बनाये गेये कुछ गप्पोड ग्रन्थो का सच

कल्पना के आधार पर बनाये गप्पोड ग्रन्थो में कुछ बातें ऐसी लिखी है कि जिसे आप अगर सौ बार पढ़ो तो भी समझ नही आने वाली....

जैसे आशिक बाबा तुलसीदास रामचरित मानस/बालकाण्ड मे लिखते हैं कि.....

"कौतुक देखि पतंग भुलाना।
मास दिवस तेहि जात ना जाना।।"

अर्थात - जब थाईलैंड के राजा दसरथुद्दीन के यहाँ रामजी पैदा हुये तो उनके जन्मोत्सव के समारोह को देखकर सूर्य एक महीने आकाश में ही ठहर गया!

अब सवाल यह है कि अगर सूर्य एक ही जगह रुक गया तो फिर सूर्य डूबा ही नहीं, रात हुई ही नहीं और अगला दिन भी नहीं हुआ.... तो बाबा तुलसीदास ने एक महीने की गिनती कैसे की ?

पूर्वकाल में हमारे बुजुर्ग लोग आकाश में सूर्य की स्थिति को देखकर ही समय का अंदाजा लगाते थे, और जब सूर्य ही ठहर गया तो इस बाबा तुलसीदास को पता कैसे चला कि एक महीना हो गया! क्या तुलसीदास त्रेतायुग में टाईटन या सोनाटा की घड़ी लगाकर घंटे गिन रहे थे?

अच्छा है कि ये शास्त्र भारतीय ही पढ़ते है, अगर विदेशी पढ़ते तो भारतीय भूगोल और तुलसीदास के ज्ञान पर थूक रहे होते !
साभार केसर देवी

शुक्रवार, 7 जून 2019

ब्राह्मणों का नंगा सच -इसलिये हिन्दू हिन्दू कर रहा है मूर्ख बना रहा है सबको ?

ब्राह्मणों  का नंगा सच -इसलिये हिन्दू हिन्दू कर रहा है मूर्ख बना रहा है सबको ?
इस पोस्ट को जरुर पढ़े लेखक डा0 हीरालाल यादव पीएचडी; इतिहास ; बधाई के पात्र हैं।
🌻🌻🌻
आप सभी बहनो भाइयो
से अनुरोध हे दो minute
का टाइम निकाल कर ये
पोस्ट जरूर पढे ।
अंग्रेजों ने भारत पर 150 वर्षों तक राज किया ब्राह्मणों ने उनको भगाने
का हथियार बन्द
आंदोलन क्यों चलाया?
जबकि भारत पर सबसे पहले हमला मुस्लिम
शासक मीर काशीम ने 712ई. किया! उसके बाद महमूद गजनबी, मोहमंद गौरी,चन्गेज खान ने हमला किये और फिर कुतुबदीन एबक, गुलाम वंश, तुग्लक वंश, खिल्जीवंश, लोदि वंश
फिर मुगल आदी वन्शो
ने भारत पर राज किया
और खूब अत्याचार
किये लेकिन ब्राह्मण ने
कोइ क्रांति या आंदोलन
नही चलाया! फिर
अन्ग्रेजो के खिलाफ़ ही
क्यो क्रांति कर दी
जानिये क्रांति और आंदोलन की वजाह
1- अंग्रेजो ने 1795
में अधिनयम 11 द्वारा
शुद्रों को भी सम्पत्ति
रखने का कानून बनाया।
2- 1773 में ईस्ट इंडिया
कम्पनी ने रेगुलेटिग एक्ट
पास किया जिसमें न्याय
व्यवस्था समानता पर
आधारित थी।6 मई 1775
को इसी कानून द्वारा
बंगाल के सामन्त ब्राह्मण
नन्द कुमार देव को फांसी हुई थी।
3- 1804 अधिनीयम 3 द्वारा कन्या हत्या पर रोक अंग्रेजों नेलगाई (लडकियों के पैदा होते ही तालु में अफीम चिपकाकर, माँ के
स्तन पर धतूरे का
लेप लगाकर, एवम्
गढ्ढाबनाकर उसमें दूध डालकर डुबो कर मारा जाता था
4- 1813 में ब्रिटिश सरकार
ने कानून बनाकर शिक्षा
ग्रहण करने का सभी
जातियों और धर्मों के
लोगों को अधिकार दिया।
5- 1813 में ने दास प्रथा
का अंत कानून बनाकर किया।
6- 1817 में समान नागरिक
संहिता कानून बनाया
(1817 के पहले सजा का
प्रावधान वर्ण के आधार
पर था। ब्राह्मण को कोई
सजा नही होती थी ओर
शुद्र को कठोर दंड दिया
जाता था। अंग्रेजो ने सजा
का प्रावधान समान कर
दिया।)
7- 1819 में अधिनियम 7
द्वारा ब्राह्मणों द्वारा शुद्र
स्त्रियों के शुद्धिकरण पर
रोक लगाई। (शुद्रोंकी शादी
होने पर दुल्हन को अपने
यानि दूल्हे के घर न जाकर
कम से कम तीन रात ब्राह्मण के घर शारीरिक सेवा देनी पड़ती थी।)
8- 1830 नरबलि प्रथा पर
रोक ( देवी -देवता को प्रसन्न
करने के लिए ब्राह्मण शुद्रों,
स्त्री व् पुरुष दोनों को मन्दिर
में सिर पटक पटक कर
चढ़ा देता था।)
9- 1833 अधिनियम 87
द्वारा सरकारी सेवा में भेद
भाव पर रोक अर्थात
योग्यता ही सेवा का
आधार स्वीकार किया
गया तथा कम्पनी के
अधीन किसी भारतीय
नागरिक को जन्म स्थान,
धर्म, जाति या रंग के
आधार पर पद से वंचित
नही रखा जा सकता है।
10-1834 में पहला भारतीय विधि आयोग का गठन हुआ। कानून
बनाने की व्यवस्था जाति,
वर्ण, धर्म और क्षेत्र की भावना से ऊपर उठकर करना आयोग का प्रमुख उद्देश्य था।
11-1835 प्रथम पुत्र को गंगा दान पर रोक (ब्राह्मणों ने नियम बनाया
की शुद्रों के घर यदि पहला
बच्चा लड़का पैदा हो तो
उसे गंगा में फेंक देना
चाहिये।
पहला पुत्र ह्रष्ट-पृष्ट एवं
स्वस्थ पैदा होता है।यह
बच्चा ब्राह्मणों से लड़ न
पाए इसलिए पैदा होते ही
गंगा को दान करवा देते थे।
12- 7 मार्च 1835 को
लार्ड मैकाले ने शिक्षा
नीति राज्य का विषय
बनाया और उच्च शिक्षा
को अंग्रेजी भाषा का
माध्यम बनाया गया।
13- 1835 को कानूनबनाकर अंग्रेजों ने शुद्रों को कुर्सी पर बैठने का अधिकार दिया।
14- दिसम्बर 1829 के
नियम 17 द्वारा विधवाओं
को जलाना अवैध घोषित कर सती प्रथा का अंत किया।
15- देवदासी प्रथा पर
रोक लगाई।ब्राह्मणों के
कहने से शुद्र अपनी
लडकियों को मन्दिर की
सेवा के लिए दान देते थे। मन्दिर के पुजारी उनका
शारीरिक शोषण करते थे।
बच्चा पैदा होने पर उसे
फेंक देते थे।और उस
बच्चे को हरिजन नाम
देते थे।
1921 को जातिवार जनगणना के आंकड़े के अनुसार अकेले मद्रास में कुल जनसंख्या 4 करोड़
23 लाख थी जिसमें 2
लाख देवदासियां मन्दिरों
में पड़ी थी।
यह प्रथा अभी भी दक्षिण भारत के मन्दिरो में चल
रही है।
16- 1837 अधिनियम द्वारा ठगी प्रथा का अंत किया।
17- 1849 में कलकत्ता
में एक बालिका विद्यालय
जे ई डी बेटन ने स्थापित
किया।
18- 1854 में अंग्रेजों ने
3 विश्वविद्यालय कलकत्ता
मद्रास और बॉम्बे में
स्थापित किये। 1902 मे
विश्वविद्यालय आयोग
नियुक्त किया गया।
19- 6 अक्टूबर 1860
को अंग्रेजों ने इंडियन
पीनल कोड बनाया।
लार्ड मैकाले ने सदियों
से जकड़े शुद्रों की
जंजीरों को काट दिया
ओर भारत में जाति, वर्ण
और धर्म के बिना एक
समान क्रिमिनल लॉ
लागु कर दिया।
20- 1863 अंग्रेजों ने कानून बनाकर चरक पूजा पर रोक लगा दिया (आलिशान भवन एवं पुल
निर्माण पर शुद्रों को
पकड़कर जिन्दा चुनवा
दिया जाता था इस पूजा
में मान्यता थी की भवन
और पुल ज्यादा दिनों
तक टिकाऊ रहेगें।
21- 1867 में बहू विवाहप्रथा पर पुरे देश में प्रतिबन्ध लगाने के
उद्देश्य से बंगाल सरकार
ने एक कमेटी गठित किया ।
22- 1871 में अंग्रेजों ने भारत में जातिवार गणना प्रारम्भ की। यह जनगणना 1941 तक हुई । 1948 में पण्डित नेहरू ने कानून बनाकर जातिवार गणना पर रोक लगा दी।
23- 1872 में सिविल
मैरिज एक्ट द्वारा 14
वर्ष से कम आयु की कन्याओं एवम् 18 वर्ष से कम आयु के लड़को
का विवाह वर्जित करके
बाल विवाह पर रोक
लगाई।
24- अंग्रेजों ने महार और चमार रेजिमेंट बनाकर
इन जातियों को सेना में
भर्ती किया लेकिन 1892
में ब्राह्मणों के दबाव के कारण सेना में अछूतों की भर्ती बन्द हो गयी।
25- रैयत वाणी पद्धति अंग्रेजों ने बनाकर प्रत्येक पंजीकृत भूमिदार को
भूमि का स्वामी स्वीकार
किया।
26- 1918 में साऊथ
बरो कमेटी को भारत मे
ं अंग्रेजों ने भेजा। यह कमेटी भारत में सभी जातियों का विधि
मण्डल (कानून बनाने
की संस्था) में भागीदारी
के लिए आया था। शाहू
जी महाराज के कहने पर पिछङो के नेता भाष्कर
राव जाधव ने एवम्
अछूतों के नेता डा
अम्बेडकर ने अपने लोगों
को विधि मण्डल में
भागीदारी के लिये
मेमोरेंडम दिया।
27- अंग्रेजो ने 1919 में भारत सरकार अधिनियम का गठन किया ।
28- 1919 में अंग्रेजो ने ब्राह्मणों के जज बनने पर रोक लगा दी थी और
कहा था की इनके अंदर
न्यायिक चरित्र नही
होता है।
29- 25 दिसम्बर 1927
को डा अम्बेडकर द्वारा
मनु समृति का दहन किया।
मनु स्मृति में शूद्रों और महिलाओं को गुलाम तथा भोग की वस्तु समझा जाता था
एक पुरूष को अनगिनत शादियां करने का धार्मिक अधिकार है महिला अधिकार विहीन तथा दासी की स्थिति में थी। एक - एक औरत के अनगिनत सौतने हुआ करती थी औरतो- शूद्रों को सिर्फ और सिर्फ गुलामी लिखा है जिसको राक्षस मनु ने धर्म का नाम दिया है।
30- 1 मार्च 1930 को
डा अम्बेडकर द्वारा काला
राम मन्दिर (नासिक)
प्रवेश का आंदोलन
चलाया।
31- 1927 को अंग्रेजों ने कानून बनाकर शुद्रों के सार्वजनिक स्थानों पर जाने का अधिकार दिया।
32- नवम्बर 1927 में साइमन कमीशन की नियुक्ति की। जो 1928 में भारत के अछूत लोगों की स्तिथि की सर्वे करने और उनको अतिरिक्त अधिकार देने के लिए आया। भारत के लोगों को अंग्रेज अधिकार न दे सके इसलिए इस कमीशन के भारत पहुँचते ही गांधी और लाला लाजपत राॅय ने इस कमीशनके विरोध में बहुत बड़ा आंदोलन चलाया। जिस कारण
साइमन कमीशन अधूरी
रिपोर्ट लेकर वापस
चला गया। इस पर
अंतिम फैसले के लिए
अंग्रेजों ने भारतीय
प्रतिनिधियों को 12
नवम्बर 1930 को लन्दन गोलमेज सम्मेलन में
बुलाया।
33- 24 सितम्बर 1932
को अंग्रेजों ने कम्युनल
अवार्ड घोषित किया
जिसमें प्रमुख अधिकार
निम्न दिए----
A--वयस्क मताधिकार
B--विधान मण्डलों और
संघीय सरकार में
जनसंख्या के अनुपात
में अछूतों को आरक्षण
का अधिकार
C--सिक्ख, ईसाई और मुसलमानों की तरह अछूतों (SC/ST )को भी स्वतन्त्र निर्वाचन के क्षेत्र का
अधिकार मिला। जिन क्षेत्रों में अछूत प्रतिनिधिखड़े होंगे उनका चुनाव केवल अछूत ही करेगें।
D--प्रतिनिधियोंको चुनने
के लिए दो बार वोट का
अधिकार मिला जिसमें
एक बार सिर्फ अपने
प्रतिनिधियों को वोट देंगे
दूसरी बार सामान्य
प्रतिनिधियों को वोट देगे।
34- 19 मार्च 1928 को बेगारी प्रथा के विरुद्ध डा अम्बेडकर ने मुम्बई
विधान परिषद में आवाज
उठाई। जिसके बाद
अंग्रेजों ने इस प्रथा को
समाप्त कर दिया।
35- अंग्रेजों ने 1 जुलाई 1942 से लेकर 10 सितम्बर 1946 तक डाॅ अम्बेडकर को वायसराय की कार्य साधक
कौंसिल में लेबर मेंबर बनाया। लेबरो को डा अम्बेडकर ने 8.3 प्रतिशत आरक्षण दिलवाया।
36-- 1937 में अंग्रेजों
ने भारत में प्रोविंशियल गवर्नमेंट का चुनाव करवाया।
37-- 1942 में अंग्रेजों
से डा अम्बेडकर ने 50
हजार हेक्टेयर भूमि को
अछूतों एवम् पिछङो में
बाट देने के लिए अपील
किया ।
अंग्रेजों ने 20 वर्षों की
समय सीमा तय किया था।
38- अंग्रेजों ने शासन प्रसासन में ब्राह्मणों की भागीदारी को 100% से 2.5% पर लाकर खड़ा
कर दिया था।
इन्ही सब वजाह से ब्राह्मणों
ने अन्ग्रेजो के खिलाफ़
क्रांति शुरू कर दी क्योकि
अन्ग्रेजो ने शुद्रो और महिलाओं को सारे अधिकार दे दीये थे और
सब जातियो के लोगो को एक समान अधिकार देकर सबको बराबरी मे लाकर खडा किया
जनजागरण हेतु ज्यादा से ज्यादा ग्रुपों में शेयर करो ,आगे बढाओ
भारत देश की अखण्डता बचाओ पाखण्ड मुक्त भारत बनाओ

बुधवार, 1 मई 2019

लो सा हाजिर है बिल्कुल सटीक बैठती मारवाड़ी कहावते

😩 *'सटीक मारवाड़ी कहावते '*😤

थोथी हथाई,
पाप री कमाई,
उळझोड़ो सूत,
माथे चढ़ायोड़ो पूत.... *फोड़ा घणा घाले।*

झूठी शान,
अधुरो ज्ञान,
घर मे कांश,
मिरच्यां री धांस.... *फोड़ा घणा घाले।*

बिगड़ोडो ऊंट,
भीज्योड़ो ठूंठ,
हिडकियो कुत्तो,
पग मे काठो जुत्तो.... *फोड़ा घणा घाले।*

दारू री लत,
टपकती छत,
उँधाले री रात,
बिना रुत री बरसात.... *फोड़ा घणा घाले।*

कुलखणी लुगाई,
रुळपट जँवाई,
चरित्र माथे दाग,
चिणपणियो सुहाग.... *फोड़ा घणा घाले।*

चेहरे पर दाद,
जीभ रो स्वाद,
दम री बीमारी,
दो नावाँ री सवारी.... *फोड़ा घणा घाले।*

अणजाण्यो संबन्ध,
मुँह री दुर्गन्ध,
पुराणों जुकाम,
पैसा वाळा ने 'नाम'.... *फोड़ा घणा घाले।*

घटिया पाड़ोस,
बात बात में जोश,
कु ठोड़ दुखणियो,
जबान सुं फुरणियो.... *फोड़ा घणा घाले।*

ओछी सोच,
पग री मोच,
कोढ़ मे खाज,
"मूरखां रो राज" .... *फोड़ा घणा घाले।*

कम पूंजी रो व्यापार,
घणी देयोड़ी उधार,
बिना विचार्यो काम .... *फोड़ा घणा घाले !*


*कांग्रस न दियोडो वोट भी घणो फोड़ा का साथ , टाबरां को भविष्य ख़राब  करे ,*
https://www.facebook.com/jalaram.hudda

शनिवार, 27 अप्रैल 2019

जो अशोक गहलोत अपने भाई का नही हुआ वो तुम्हारा क्या होगा

जिन लोगों को लग रहा है कि वैभव गहलोत की जीत से जोधपुर का विकास होगा वे लोग  रामनवमी के दिन सूरसागर दंगा पीड़ित मनीष गहलोत (माली) की आप बीती पढ़ें  👇👇👇

रामनवमी जुलूस में हुए दंगे में मेरे घर पर विशेष समुदाय द्वारा आगजनी की गयी उसकी मैंने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई ले
किन अभी भी अभियुक्त खुले घूम रहे हैं अपना राजनीतिक रसूख का लाभ ले रहे हैं एवं साथ ही पुलिस का भेदभाव पूर्ण रवैया मुझ परअलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है एवं उल्टा मुझे ही पाबंद किया है प्रशासन मेरी अनदेखी कर रहा है।
चुनाव के मद्देनजर को देखते हुए सरकार एक तरफा काम कर रही है और उन्हें सपोर्ट कर रही है हमें न्याय कब मिलेगा जबकि अभी सरकार की चुनावी थीम है अबकी बार न्याय
मनीष गहलोत दंगा पीडित परिवार
सुरसागर  जोधपुर  राजस्थान

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019


#सिरसा
#मंहगा_पड़ा_चौकीदार_चोर_का_नारा :-
👇
चोकीदार चोर है का नारा लगाने पर सिरसा में लोग भड़के दौड़ा-दौड़ा कर धोया कांग्रेसी को बिना साबुन
सोडा के.....!

कांग्रेस प्रत्याशी अशोक तंवर ने टैंट के पीछे से भागकर अपनी ईज्जत बचाई !

कांग्रेसीयों होश मे रहो जनता सब जान चूकी
हैं

मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

आइये जानते है ये बेशर्म आजमखान है कौन

#किस्सा ऐ #आजम_खान

आजम खान का पिता मुमताज अली दरअसल मुस्लिम डोम/मिरासी जाति का था जो रामपुर के नवाब राजा वली खान बहादुर की घोडाबग्घी चलाते थे, एक दुर्घटना में उनकी मृत्यु होने के बाद परिवार पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा और आजम की माँ रुबिया को रामपुर नवाब के महल में ही रसोई सम्भालने के लिए पगार पर रख लिया गया।

रुबिया कम उम्र में ही विधवा हुई थी तो एक दिन नवाब रामपुर की नजर उसपर पड़ी और जल्द ही रुबिया की गिनती रामपुर नवाब की सबसे चहेती रखैल के रूप में होने लगी।

इसी बीच भारत विभाजन से एक वर्ष पूर्व आजम का जन्म हुआ और रुबिया ने नवाब पर उसे सार्वजनिक रूप से अपनाने का दबाव डाला,नवाब ने उसका स्कूल में दाखिला आजम खान नाम से तो करवा दिया पर बाप का नाम मुमताज लिखवाया!!

कुछ दिन बाद ही नवाब का मन रुबिया से भर गया था और उसने 1948 में उसे महल से बाहर निकाल दिया,
अब रुबिया फिर से बेसहारा हो गयी और उसे सहारा दिया अवध के मितानी ताल्लुक के एक अधेड़ राजपूत ताल्लुकेदार अरिमर्दन सिंह ने  जो नवाब रामपुर के मित्र थे और अक्सर रामपुर उनसे मिलने आते थे।
पर यहाँ भी रुबिया ज्यादा दिन टिक नही पायी और अरिमर्दन सिंह के परिवार ने लखनऊ के उस मकान से भी  रुबिया को बेदखल कर दिया जो उसे अरिमर्दन सिंह ने उपहार में दिया था।।

अब रुबिया अपने कम उम्र के बालक आजम को लेकर दर दर भटकने लगी, इसके बाद वो किस किसके साथ रही, इसकी किसी को जानकारी नही है, लेकिन आजम खान किसी तरह पढ़ लिख गया और लॉ करने के बाद सीधा राजनीती में आ गया और कट्टरपंथी इस्लाम की नाव पर सवार होकर राजनीती में आगे बढ़ता चला गया!!

आजम खान ने चाहे जितनी मर्जी तरक्की की हो किन्तु वो  बचपन में उसकी माँ और उसके साथ दुर्व्यवहार करने वाले रामपुर के नवाब और राजपूत ताल्लुकेदार को नही भूल पाया,
आज भी आजम खान उसी शिद्दत से सामन्तवाद, नवाब, ठाकुरो से जूनून की हद तक नफरत करता है और उसकी ये जहरीली सोच अक्सर उसके बयानों से पता चल जाती है।

सच कहें तो आजम खान को आज तक पता नही चल पाया कि उसका जैविक पिता दरअसल है कौन??
रामपुर का नवाब??
ताल्लुकेदार अरिमर्दन सिंह??
या उसकी माँ रुबिया का पहला पति मुमताज खान??

इस सवाल का जवाब सबसे बेहतर रुबिया दे सकती थी पर अफ़सोस ,उसके पूछने से पहले ही वो इस दुनिया से चल बसी!!!

आज भी रामपुर नवाब के महल के ठीक सामने तेलियों वाली गली में कंजर बस्ती में मुमताज खान और रुबिया का टूटा फूटा मकान मौजूद है जिसमे अब आजम का ड्राइवर शौकत कुरैशी रहता है।

आजम खान की आज की मनोदशा दरअसल उनके बदहाल बचपन के कारण है और वो आज भी उस दौर को भूल नही पाते हैं।

सोमवार, 15 अप्रैल 2019

आजम खान, समाजवादी पार्टी और भारत की ‘नाचनेवाली’ औरतें

समाजवादी पार्टी के बड़े नेता आज़म खान के नक्श-ए-कदम पर चलते हुए पार्टी के छुटभैया नेता फिरोज़ खान ने भी भाजपा में शामिल हुई अभिनेत्री जयाप्रदा के लिए गलत बयानबाज़ी की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फिरोज़ खान ने कहा- जयाप्रदा अपने घुंघरुओं और ठुमकों से रामपुर के लोगों का मनोरंजन करेंगी.
गौरतलब है कि जयाप्रदा समाजवादी पार्टी से ही 2004 और 2009 में रामपुर से ही दो बार लोकसभा सांसद रह चुकी हैं.
अगर समाजवादी पार्टी के नेताओं के बयानों को देखें तो हर साल- दो साल में कोई ना कोई नेता ये ज़रूर साबित कर देता है कि ये पार्टी महिलाओं को लेकर बिल्कुल संवेदनशील नहीं है. शायरी करनेवाले नेता आज़म खान की ही बात करें तो उन्होंने कई बार जयाप्रदा को नाचनेवाली, घुंघरूवाली इत्यादि विशेषणों से नवाज़ा है. यही नहीं, 2009 के चुनाव में उन पर आरोप लगे थे कि वो जयाप्रदा की मॉर्फ्ड इमेजेज अपने कार्यकर्ताओं द्वारा शेयर करवा रहे हैं.
इससे पहले आज़म खान मीडिया से कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास 7 रेसकोर्स रोड और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के बंगले के बीच एक सुरंग है. उन्होंने ये भी कहा था कि आगे वो अपना मुंह खोलेंगे तो पीएम नंगे हो जाएंगे.

शनिवार, 13 अप्रैल 2019

अंतर्राष्ट्रीय जाट दिवस..

अंतर्राष्ट्रीय जाट दिवस...

अनादि काल से इंसान कबीलाई जीवन जीता आया है और कालखंड की गति में ये कबीले परिपक्व होते गए जिसमे अंतर्राष्ट्रीय स्तर देखा जाए तो एक ऐसा कबीला उभरा जिसने न केवल समय के साथ अपनी सफलताओं के झंडे गाड़े बल्कि कमजोर वर्ग का सारथी और बेईमानों का दुश्मन बनकर खड़ा रहा!दुनियाँ में अगर सही मायनों में देखा जाये तो जाट ऐसा कबीला है,ऐसी नस्ल है जो सही मायने में धार्मिक है।जाटों ने मानवीय धर्म को सदा श्रेष्ठ रखा है और आज भी अंध धार्मिक रेवड़ों की भेड़ों के बीच इंसानियत का झंडा लेकर कोई खड़ा है तो वो जाट है।

इतिहास भरा पड़ा है इनकी शूरवीरता के किस्से-कहानियों से!इतिहास भरा पड़ा है मानवता के लिए दी गई कुर्बानियों से!द्वितीय विश्वयुद्ध में जब हिटलर की सेना ध्वस्त हो रही थी तब कहा था जाट लड़ाके मेरी सेना में होते तो मैं दुनियाँ फतेह कर लेता मगर वह भूल गया था कि JAT  का मतलब ही Justice,Action and Truth होता है।

कितनी ही राज्य व्यवस्थाएं खड़ी हो जाएं,कितने ही लोकतंत्र के टेंट हाउस में,कम्युनिज्म के पोली बैग में नागरिक रूपी बंधन खड़े कर दिए जाएं,कितनी ही तोड़ने के लिए सीमाएं खड़ी कर दी जाएं मगर जब रगों में दौड़ता खून बोलता है,गौरवशाली सांस्कृतिक परंपराओं की गूंज सुनाई देती है तो पूरे विश्व मे एकसाथ बंद मुठ्ठियाँ ऊपर उठती है और जुबाँ से आवाज निकलती है "गर्व है कि मैं जाट हूँ।"

यह गौरव हमने मजलूमों का रक्षक बनकर हासिल किया है,यह गौरव हमने जाति-धर्म से परे इंसानियत को जिंदा रखकर हासिल किया है,यह गौरव हमने कमजोरों का सहायक बनकर हासिल किया है,यह गौरव हमने प्रकृति के साथ जीकर हासिल किया है।हमने हर क्षेत्र में बिना किसी से प्रतिस्पर्धा किये नए आयाम तय किये है।

चाहे धार्मिक अत्याचार से बगावत की बात हो या हुकूमत के अत्याचार के खिलाफ विद्रोह हो जाट हमेशा आगे रहे है!मैदान चाहे युध्द के हो चाहे खेल के हो,चाहे खेत हो चाहे देश की सीमाएं हो,सदा परचम के,शौर्य के झंडे जाटों ने दुनियाभर में गाड़े है।कुछ साथियों ने इबादत के रास्ते जरूर बदले है मगर अंदर से आज भी जाट धर्म पर ही अडिग है।

आज दुनियाभर में जाट दिवस मनाया जा रहा है तो हमे उन पुरखों को नमन करना चाहिए जिन्होंने यह गौरवशाली पल हमे उपलब्ध करवाया है।अपनो ने कई कुर्बानियां दी है तब जाकर हम इस काबिल बने है कि आज खुद को गौरान्वित महसूस कर रहे है।हमे हमारी महान सांस्कृतिक विरासत को जिंदा ही नहीं रखना है बल्कि संवारकर हमारी भावी पीढ़ी को सौंपना है।हमे हमारे इतिहास का ढंग से संकलन करना है ताकि भावी पीढियां खुद पर गर्व कर सके।हमे हमारे वर्तमान के लिए जीवन खपाना है ताकि भविष्य उस पर खड़ा होकर ऊंची छलांग लगा सके।

जो कौमे खुद की जड़ों से कट जाती है वो कौमे खुद अपने अस्तित्व पर कुल्हाड़ी मारती है।हमे हमारी जड़ों पर खड़े होकर आगे बढ़ना है।हमे मानव धर्मी/जाट धर्मी होकर आगे बढ़ना है।कल कोई भाई मुझे पूछ रहा था कि आपका धर्म क्या है?मैं नास्तिक हूँ मगर मेरी नास्तिकता में ही आस्तिकता छुपी है।दुनियाँ में 4200के करीब धर्म है मगर इनमें से मेरा कोई धर्म नहीं है क्योंकि मैं धर्मों के बाप अर्थात जाट धर्म से हूँ।जाट धर्म दुनियाँ का ऐसा धर्म है जो सदा यह चाहता है कि इंसान किसी भी धर्म का हो मगर सबसे पहले वो हमारे लिए इंसान है।सही मायनों में देखा जाए तो दुनियाँ में जाटों जैसे धर्म निरपेक्ष लोग आपको कहीं नहीं मिलेंगे।इसलिए मैं गर्व करता हूँ कि मैं जाट हूँ।

मुझे लोग कहते है कि तुम जातिवादी हो!मैं हमेशा कहता हूँ कि कबीलों के हिसाब से नामकरण किसी और ने कर दिया है मगर बिना किसी दूसरी जाति के साथ भेदभाव किये,बिना किसी दूसरी जाति को दबाकर अगर मैं मेरी जाति के उत्थान की बात करता हूँ तो मैं समझता हूँ कि यह मेरा जातिगत प्रेम है न कि जातिवाद।मेरी जाति पर गर्व करने के लिए मेरे पुरखों ने लाखों कारण दिए है,मेरी जाति पर प्रेम करने के मेरे भाइयों ने लाखों आयाम स्थापित किये है।

आज भी कोई दीनहीन असहाय खड़ा नजर आता है तो उसके साथ जाट खड़ा नजर आता है।चाहे उसने पगड़ी पहनी हो,चाहे टोपी पहनी हो चाहे गले मे क्रोस या माला डाल रखी हो मगर उसकी जाति जाट ही होगी!कोई बीमार लाचार खड़ा होगा तो उसका हमसफ़र जाट होगा।किसी गरीब-मजलूम पर कोई अत्याचार करता है तो जाट उसका रक्षक बनकर खड़ा नजर आता है।

जब हुकूमतों ने सीमा लांघी
वो लड़े थे किसान बनकर!
जब धर्मों ने माहौल बिगाड़ा
वो लड़े है इंसान बनकर!
चाहे वो महलों में खेले
चाहे बैठे रहे टाट-फर्श पर!
कभी न झुके कभी न रुके
बढ़ते रहे वो जाट धर्म पर!!

आज अन्तर्राष्ट्रीय जाट दिवस की सभी भाइयों को बधाई देता हूँ💐💐💐

विकास दुबे के सरेंडर ओर एनकाउंटर के 24 घण्टे के घटनाक्रम में देश के सबसे बड़े घोटाले की खबर दब गयी.

कल पंजाब नेशनल बैंक में 3 हजार 688 करोड़ रुपए के लोन की धोखाधड़ी सामने आयी यह धोखाधड़ी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटडे यानी DHFL ने अंजाम दी है...